राजेश मूणत रतलाम

रतलाम।  जिले में मदरसा के नाम पर मजहबी कट्टरता सीखा रहे एक मदरसे का मामला संदेहास्पद होता जा रहा हैं। बात रतलाम जिले के जावरा अनुभाग की पिपलोदा तहसील के ग्राम उमट पालिया से सामने आ रही हैं। प्रदेश के बाल आयोग के सदस्यों के दस दिन पूर्व सामान्य निरिक्षण के दौरान यह मामला सामने आया था।आयोग के दल ने यहाँ सतहत्तर बच्चों के साथ एक अवैध आवासीय मदरसा संचालित होना पाया था। दल ने जांच में मिली  अनियमितताओं की सिलसिलेवार सत्रह बिंदुओं की जानकारी रतलाम जिला प्रशासन को एक प्रतिवेदन में दी थी।  इन बिंदुओं में मदरसे का संचालन कब्रिस्तान के लिए आवंटित भूमि पर होना पाया था। आता-ऐ-रसूल नाम से दस दिवस पूर्व संचालित यह अवैध आवासीय मदरसा अब लापता हो गया हैं।  मिल रही जानकारी के अनुसार मप्र बाल आयोग ने अपना जांच प्रतिवेदन रतलाम कलेक्टर राजेश बाथम को प्रेषित कर दिया इस प्रकरण में आधिकारिक संज्ञान लिया गया। और जांच के लिए प्रशासनिक अधिकारियों की टीम बनाई गई। बाल आयोग टीम ने 25 जनवरी को  निरीक्षण किया था। उसके दस दिन जिला प्रशासन का दल गत 5 फरवरी को मदरसे की जांच के लिए उमट पालिया पहुंचा। इस दल में एसडीएम त्रिलोचन गोड़ सीएसपी दुर्गेश आर्मो जिला शिक्षा अधिकारी अनिता सागर के साथ महिला बाल विकास विभाग के रविंद्र मिश्रा और पिपलोदा के तहसीलदार देवेंद्र दानगढ़ शामिल थे। इस पुरे मामले को संदिग्ध बनाने वाले प्रमुख बिंदुओं में एक हैं। शासकीय रिकार्ड, इसके हिसाब से जिस जगह मदरसा बना है वह कब्रिस्तान की जमीन है। दूसरा मदरसे को अवैध रूप से बनाया गया है। बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा, सदस्य ओंकार सिंह मरकाम ने 25 जनवरी को सीडब्ल्यूसी मेंबर वैदेही कोठारी, शिक्षा, पुलिस व महिला एवं बाल विकास विभाग के अमले के साथ इस कथित मदरसे का निरीक्षण किया था।  इस दल में आयोग के सदस्यों के साथ शिक्षा विभाग, महिला बाल विकास विभाग और आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारी भी साथ में थे। इस टीम ने पाया था की इस अवैध मदरसे का संचालन दावते इस्लामी हिंद ट्रस्ट इंदौर के माध्यम से किया जा रहा था। आश्चर्यजनक बात यह हैं की कब्रिस्तान की जमीन पर बने इस अवैध मदरसे को विगत वर्ष 2017 से 2022 मदरसा बोर्ड ने मान्यता भी दे रखी थी। हालांकि उसके बाद मान्यता का नवीनीकरण नहीं किया गया। और इसके बाद यह मदरसा पूरी तरह से अवैध रूप से संचालित होता चला आ रहा था।  मदरसे में 77 बच्चों को जिनकी आयु 15 वर्ष के आसपास हैं। उन्हें स्कूली शिक्षा के स्थान पर क्या? पढ़ाया जा रहा था। यह किसी को पता नहीं हैं। इस अवैध मदरसे में राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के बच्चों को प्रवेश दिया गया था। बताया जाता हैं की इन 77 बच्चों में से  72 नाबालिग और 5 बालिग थे। 

मध्यप्रदेश के अशोक नगर, मंदसौर, नीमच, उज्जैन, रतलाम व इंदौर, राजस्थान के चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़ और उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद तक से बच्चों को यहाँ प्रशिक्षित किया जा रहा था। मदरसा नियम के हिसाब से इन बच्चों का किसी शैक्षणिक संस्थान में भी नाम दर्ज नहीं कराया गया था।बताया जाता हैं की इस अवैध मदरसे के मुख्य शिक्षक मोहम्मद शोएब यूपी व मोहम्मद शहजाद झारखंड के रहने वाले हैं। बाल आयोग के निरिक्षण के बाद इस अवैध मदरसा संचालन का मामला सामने आया था। सूत्रों के अनुसार इस कथित मदरसे से बाल आयोग के सदस्यों ने कुछ दस्तावेज और  पुस्तकें भी जब्त की थी। कब्रिस्तान की भूमि पर बना मदरसा की प्रारंभिक जांच के बाद बाल आयोग ने कलेक्टर को अपना प्रतिवेदन भेज दिया। अवैध मदरसे के साथ भारी अनियमितता मिलने का रतलाम में यह दूसरा मामला बन गया हैं। इसके पूर्व गत वर्ष अगस्त माह में जिला मुख्यालय पर आयशा सिद्धिकी लिल बिनात नामक एक अन्य मदरसे में भी कई अनियमितता सामने आई थी। क्या मामले को दबाने की कोशिश हो रही हैं? इस पुरे मामले में  अनियमितताओं के पुराने बिंदुओं के साथ बड़ी लापरवाही यह सामने आ रही हैं की मदरसा तत्काल सील करने के स्थान पर 10 दिन बाद जिले के आला अधिकारी इस अवैध मदरसे की जांच करने निकले।  प्रशासन ने उक्त मदरसा भवन को अतिक्रमण बताते हुए जवाब पेश करने के लिए मदरसा कमेटी को नोटिस जारी किया और मदरसा भवन पर नोटिस भी चस्पा कर दिया है। लेकिन तब तक इतनी देर हो चुकी हैं की अवैध मदरसा संचालित होने से जुड़े तमाम साक्ष्य नष्ट कर दिए गए या हटा दिए गए हैं। इस तरह एक अवैध मदरसा लापता हो गया हैं। उल्लेखनीय हैं की उमट पालिया नामक  ग्राम जहाँ यह मदरसा संचालित हो रहा था। इसका रिश्ता मेवात क्षेत्र से हैं। इस ग्राम में 100 से ज्यादा घर मेवाती मुस्लिमों के बताए जाते हैं।

इनका कहना

मध्यप्रदेश बाल आयोग की सदस्य डॉ निवेदिता शर्मा जी के साथ उमठ पालिया मदरसे में हम गए थे गेट के बाहर मदरसे का बैनर लगा हुआ था,अंदर पहुँचने पर प्रिंसिपल रूम में सोफे टेबल और cctv डिस्प्ले स्क्रीन भी लगी हुई थी|क्लास रूम में ब्लेकबोर्ड और बेंचेस भी लगी थी, लगभग पेंतीस बच्चे थे,आवासीय मदरसा में 9 से 18 वर्ष के बच्चे अलग अलग शहर कस्बे के थे, कुछ बच्चे निम्बाहड़ा, मुरैना, गुना, अशोकनगर, नीमच, मुरादाबाद चितोड़ के थे, कुछ बच्चे पाँचवी, सातवीं,, आठवीं की पढ़ाई छोड़ कर यहां दिनी तालीम लेंने आए थे, तीन शिक्षक थे, सभी बच्चों की स्कूली शिक्षा बंद थी, कुछ बच्चे तो पिछले पांच साल से यहीं रहते थे, बच्चों का कहना था हम कुरान (हिफ़्ज़) पढ़ कर हाफिज़ बनेगे और जन्नत पाएगे|  04-02-2025 कलेक्टर के आदेश से जब हमारी बाल कल्याण समिति पुनः निरिक्षण करने पहुंची, वह देख आश्चर्यचकित रह गए,  बाहर गेट पर बड़ा बैनर लगा था जिस पर बड़े बड़े अक्षरों में कब्रिस्तान अताए रसूल एहले सुन्नत लिखा था, गेट पर ताला लगा हुआ था, हम गए तो पास की दुकान से एक व्यक्ति आया उसने ताला खोला और बात की तो उसने मदरसे के प्रिंसिपल को बुलाया, जब मदरसे के कमरे के दरवाजे खोले तो अंदर ब्लेक बोर्ड बेंचेस सब गायब थी cctv निकले हुए थे, प्रिंसिपल रूम पूरी तरह से खाली था, बच्चों की पूछ ताज की तो उनका कहना था, कि हमने सब बच्चों को उनके घर भेज दिया है।वैदेही कोठारी सदस्य बाल कल्याण समिति।

डॉ निवेदिता शर्मा मध्यप्रदेश बाल आयोग की सदस्य