नदियों को जोड़ने की योजना के तहत उम्मीद बढी, दूसरे चरण का सर्वे कार्य समापन की ओर

पाटन (शंकर सैनी)। नदियों को नहरों के जरिए आपस में जोडकर सूखे इलाकों में नदियों का अधिशेष पानी पहुंचाने की भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत दूसरे चरण का सर्वे कार्य लगभग समापन की ओर है।सर्वे का दूसरा चरण पूरा होने के बाद जल्द ही सीकर और कोटपूतली को नहर के जरिए यमुना का मीठा पानी मिलने की पूरी उम्मीद है। सोमवार – मंगलवार को सर्वे आफ इंडिया के वरिष्ठ सर्वेयर संतोष शर्मा के नेतृत्व में सर्वे टीम ने हरियाणा के नारनौल के महावीर चौक स्थित सर्वे प्वाइंट से रींगस के डाक बंगले में बने सर्वे प्वाइंट तक का सर्वे कार्य नीमकाथाना से आगे तक किया गया। एक माह में दूसरे चरण का सर्वे कार्य पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है। बेस लाईन सर्वे के बाद कोटपूतली के बुचारा बांध को भी नहर से जोडकर पानी स्टोरेज करने की संभावनाएं तलाशी जायेंगी। वर्तमान में नारनौल – रींगस बेस लाईन सर्वे वैरीफाई कर रही टीम ही बुचारा बांध का सर्वे भी करेगी। मंगलवार को सर्वे कर रही टीम के सदस्यों ने बताया कि योजना की प्रगति रिपोर्ट प्रतिदिन भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय और प्रधान मंत्री कार्यालय द्वारा मोनिटर की जा रही है।

जनवरी 2020 में किया गया था पहला बेस लाईन सर्वे

नदियों को जोड़ने की योजना के तहत हरियाणा होते हुए सीकर के रींगस तक यमुना का मीठा पानी पहुंचाने के लिए जनवरी 2020 में सर्वे आफ इंडिया के द्वारा पहले चरण का सर्वे किया गया था। अब उसी सर्वे का दुबारा वैरिफिकेशन किया जा रहा है। जनवरी 20 में सर्वे टीम द्वारा बेस लाइन सर्वे प्वाइंट्स निर्धारित किए गए थे। उन्हीं प्वाइंट्स को वैरीफाई करने के लिए मंगलवार को टीम पाटन और नीमकाथाना में पहुंची। टीम के सदस्यों ने बताया कि सर्वे में हर 1 मिलीमीटर का भी अंतर नहीं रहे इसी लिए अत्याधुनिक उपकरणों से सर्वे का वैरिफिकेशन किया जाता है। वैरिफिकेशन रिपोर्ट दो माह के भीतर भारत सरकार को सौंप दी जायेगी।

सर्वे वैरिफिकेशन होने के बाद लांच होगी परियोजना

जानकारी के अनुसार बेस लाईन सर्वे वैरिफिकेशन के बाद भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा परियोजना लांच की जायेगी। जिसके बाद भूमि अधिग्रहण और नहर बनाने का कार्य शुरू कर करीब दो सालों में यमुना का पानी सीकर के रींगस पहुंच सकेगा।

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